मैं सच्चा के तू सच्चा है
इन बातों में क्या रक्खा है
कौन उठाए सच का बोझा
झूठों का भी घर पक्का है
अपनी अपनी सच की सूरत
क्या जाने अब क्या सच्चा है
जीत हार सब झूठी बातें
... खेल खेल में अब सट्टा है
हिम-आलय की बर्फ़ खो गई
अब मौसम हक्का बक्का है
इन बातों में क्या रक्खा है
कौन उठाए सच का बोझा
झूठों का भी घर पक्का है
अपनी अपनी सच की सूरत
क्या जाने अब क्या सच्चा है
जीत हार सब झूठी बातें
... खेल खेल में अब सट्टा है
हिम-आलय की बर्फ़ खो गई
अब मौसम हक्का बक्का है
आपकी यह रचना कल शनिवार (15 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएं:-)
हिम-आलय की बर्फ़ खो गई
जवाब देंहटाएंअब मौसम हक्का बक्का है