शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

हर दर महकना चाहिए

कुछ कर गुज़रना चाहिए
मुझ को भी सपना चाहिए

जब रात ठहरी है यहीं
चंदा को तकना चाहिए ...

इस उम्र की दहलीज़ पर
मन का ही सुनना चाहिए

हर चंद एक सहरा यहाँ
बस अश्क थमना चाहिए

बरकत सभी को नसीब हो
हर दर महकना चाहिए