सोमवार, 11 फ़रवरी 2013

हर रूह में एक नूर ख़ुदा का दिया गया

जिस दिल की आग में मुझे जला दिया गया
उसमें सुना है तुझको भी रुस्वा किया गया

जब भी हैं माँगती ये हवाएँ हिसाब ए जाँ
कहते हैं जी लिए हैं के जैसे जिया गया

उतनी ही सुलग पाई कि जितनी नसीब थी
मसला ए ज़िंदगी से , सबब ये लिया गया

महँगी बड़ी है जान की क़ीमत न लगाना
हर रूह में एक नूर ख़ुदा का दिया गया

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