शनिवार, 26 जनवरी 2013

मेहमान

ख्वाबों में भी आया है तो एहसान है किया
दिल ने अजीब शख्स को मेहमान है किया .

क़ौल -ओ- क़रार की हमें उम्मीद ही नहीं
यह तिश्नगी है इसने क्यूँ हैरान है किया

तुझीसे पर्दादारी की कसमें जो खा रखीं,
अपनी ही कब्र-ए-रूह का सामान है किया

वक़्त वो तेरा था ज़माना ये मेरा है,पर्दादारी
बख्शी है ज़िन्दगी तो क्या एहसान है किया !!!

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