रविवार, 29 अप्रैल 2012

दुनिया नहीं रूकती

बहा ले जाएगा एक दिन हमें भी वक़्त का दरिया
किसी के छोड़ जाने से कभी दुनिया नहीं रूकती !

"सभी जो हौंसला रक्खें तो फिर हो रास्ते आसाँ "
कहा जो था ये तुम ने तो भला मैं क्यूँ कहीं रूकती !

सवाले हस्ती पे यूँ चौंकना लाज़िम था अपना भी
निशाँ -ए- नूर- ए- मौला जब जहाँ मिलता वहीँ रूकती?

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