सर्द मौसम आ गया,
कोहरा घना छा गया!
कोई गिरा कोई चला,
कोई मंजिल पा गया!
दिल तोडा और छोडा
दूर लेकिन ना गया!
वो हंसा, कातिल बना,
दूसरों का क्या गया
मुरझाया कोई,कोई खिला,
मौसम ये रास आ गया
बहुत सुन्दर!
वो हंसा, कातिल बना,दूसरों का क्या गया बहुत सुंदर भावनाएं आपके ब्लॉग पर आना और आपकी गजलों को पढना अच्छा लगा
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिएडैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .
बहुत बढ़िया.वाह.
सारी रचनाएँ अच्छी लगीं ..
बहुत ही अच्छी रचना ।
बहुत शुक्रिया !
बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंवो हंसा, कातिल बना,
जवाब देंहटाएंदूसरों का क्या गया
बहुत सुंदर भावनाएं आपके ब्लॉग पर आना और आपकी गजलों को पढना अच्छा लगा
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
जवाब देंहटाएंवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया .
बहुत बढ़िया.वाह.
जवाब देंहटाएंसारी रचनाएँ अच्छी लगीं ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया !
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