असर पज़ीरी है मुश्किल बड़ी
सब कुछ ये समझे बुरी या भली
नज़र ओ नज़ारे थे दोनों जुदा
बेघर की चीखें खला सी पली
रंजिश सही है ग़ज़ल से मेरी
बहर के बिना ही ये जिद्द पे अड़ी
सफ़र ये शुरू हो गया तो मगर
बंद कमरे में घुटती रही ज़िन्दगी
किधर से चले और कहाँ तक गए
खबर क्या कहानी थी किसने गढ़ी
असर पज़ीरी= sensitivity
सब कुछ ये समझे बुरी या भली
नज़र ओ नज़ारे थे दोनों जुदा
बेघर की चीखें खला सी पली
रंजिश सही है ग़ज़ल से मेरी
बहर के बिना ही ये जिद्द पे अड़ी
सफ़र ये शुरू हो गया तो मगर
बंद कमरे में घुटती रही ज़िन्दगी
किधर से चले और कहाँ तक गए
खबर क्या कहानी थी किसने गढ़ी
असर पज़ीरी= sensitivity
रंजिश सही है ग़ज़ल से मेरी
जवाब देंहटाएंबहर के बिना ही ये जिद्द पे अड़ी
वाह क्या बात है बहुत खूब सूरत ग़ज़ल
अरुन =www.arunsblog.in
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ... आशा है नया वर्ष न्याय वर्ष नव युग के रूप में जाना जायेगा।
जवाब देंहटाएंब्लॉग: गुलाबी कोंपलें - जाते रहना...