अबके रोशन एक दिया रहने भी दो
कब कहेगा कौन क्या कहने भी दो
हम जियें न बुज़दिलों के नाम से
बनके दरिया बारहां बहने भी दो
...
तप के सोना बन के दिखलाउंगी मैं
सिलसिलों का दर्द है सहने भी दो
इक एक ही को तुम बुलाते जा रहे
चंद तारे मुझ तईं रहने भी दो
कब कहेगा कौन क्या कहने भी दो
हम जियें न बुज़दिलों के नाम से
बनके दरिया बारहां बहने भी दो
...
तप के सोना बन के दिखलाउंगी मैं
सिलसिलों का दर्द है सहने भी दो
इक एक ही को तुम बुलाते जा रहे
चंद तारे मुझ तईं रहने भी दो
बहुत खूबसूरत गजल
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत
जवाब देंहटाएंसादर
Vaah .. Khoobsoort gazal ... Umda sher ...
जवाब देंहटाएंVaah .. Khoobsoort gazal ... Umda sher ...
जवाब देंहटाएं