करें क्या किसी की इजाज़त नहीं
सुनी होंगी तुम ने ये बातें कहीं
नहीं इश्क वो जो इबादत नहीं
नहीं शौक़ जीने या मरने का अब
करें क्या कि आती क़यामत नहीं
नया एक रिश्ता बना है मगर
ज़रा सी भी इस में शराफ़त नहीं
गुमां तेरे वादे का तुझ को रहा
हमें भी भुलाने की आदत नहीं
भला क्यूँ है तू इस कदर बेख़बर
ये दिल है तेरा कोई आफ़त नहीं
गुमां तुझ को तेरे वादे का रहा
जवाब देंहटाएंभुलाने की हम को भी आदत नहीं
जाने क्यूँ है भला तू यूँ बेखबर
तेरा दिल है ये दिल कोई आफ़त नहीं
वाह ...बहुत खूब ।
जीने मरने का ही शौक जाता रहा
जवाब देंहटाएंआती ही मगर ये क़यामत नहीं
वाह ..बहुत खूब
सुनी होंगी तुम ने ये बातें कहीं
जवाब देंहटाएंनहीं इश्क वो जो इबादत नहीं
क्या बात है....बहुत खूब!
सादर
गुमां तुझ को तेरे वादे का रहा
जवाब देंहटाएंभुलाने की हम को भी आदत नहीं
बहुत खूब!!
नया एक रिश्ता बना है मगर
जवाब देंहटाएंज़रा सी भी इस में शराफ़त नहीं.......
Aaj ki duniya ki hakikat.....Wah !!!
सुनी होंगी तुम ने ये बातें कहीं
जवाब देंहटाएंनहीं इश्क वो जो इबादत नहीं
..
बहुत खूब - बधाई
बहत खूब ..अच्छी गजल
जवाब देंहटाएंbahut sundar wa bhavpradhan post...badhiya
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat gazal mubarak ho
जवाब देंहटाएंSo very good you write here real voice of heart i think you miss your beloved but Ghazel is good.
जवाब देंहटाएंlot of thank
v.p.singh
M.09971224023
bahut sundar aur bhavpurn prastuti.......
जवाब देंहटाएंअसीम दर्द को समाहित की हुई रचना के सम्मान में कुछ पंक्तियाँ--
जवाब देंहटाएंअरे हम सितम और अब क्यों सहें,
हमें और सहने की आदत नहीं।
अबला समझ तुमने लूटा बहुत,
किसी भी तरह यह शराफत नहीं।
सहन जो किया,थी मुहब्बत मुझे,
तुम्हें किन्तु मुझसे मुहब्बत न थी।
सार्थक प्रस्तुति, आभार.
जवाब देंहटाएंपधारें मेरे ब्लॉग पर भी और अपने स्नेहाशीष से अभिसिंचित करें मेरी लेखनी को, आभारी होऊंगा /
उम्दा... खुबसूरत अशआर....
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई...
बहुत खूब................
जवाब देंहटाएं"गुमां तेरे वादे का तुझ को रहा
जवाब देंहटाएंहमें भी भुलाने की आदत नहीं"
बहुत खूब !
bahut sundar !
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