शनिवार, 26 जनवरी 2013

मेहमान

ख्वाबों में भी आया है तो एहसान है किया
दिल ने अजीब शख्स को मेहमान है किया .

क़ौल -ओ- क़रार की हमें उम्मीद ही नहीं
यह तिश्नगी है इसने क्यूँ हैरान है किया

तुझीसे पर्दादारी की कसमें जो खा रखीं,
अपनी ही कब्र-ए-रूह का सामान है किया

वक़्त वो तेरा था ज़माना ये मेरा है,पर्दादारी
बख्शी है ज़िन्दगी तो क्या एहसान है किया !!!

गुरुवार, 24 जनवरी 2013

सुन ले

एक ग़ज़ल मेरी भी सुन ले
आ ज़रा कुछ तार बुन ले

चाहे मत कर तू वफाएं
दर्द के दो फूल चुन ले

सरहदों पर मर मिटा वो
चल उसी की आह सुन ले

कब कहाँ किसकी खता है
छोड़ सब तू अपनी गुन ले

रविवार, 20 जनवरी 2013

देखूं न चंद रोज़ उसे ये , सिलसिला तो दूँ

वो शाम ढल गई है जो उसका सिला तो दूँ
बैठूं करीब उसके उसे ख़ुद से मिला तो दूँ

बारिश की शोखियाँ जो कभी नागवार थीं
काँटों को सींच लूँ गुले- नगमा खिला तो दूँ

नासूर बन गई है जो ,फ़रेबी , हिजाब की
देखूं न चंद रोज़ उसे ये , सिलसिला तो दूँ

गुरुवार, 10 जनवरी 2013

रौशनी

जाने कब कैसे, मक़सद खो गया
जीए जाते थे , मुक़द्दर सो गया ..

रात काली ,थी जो सिरहाने पड़ी
ख्वाब आया, रौशनी को बो गया