रविवार, 29 अप्रैल 2012

दुनिया नहीं रूकती

बहा ले जाएगा एक दिन हमें भी वक़्त का दरिया
किसी के छोड़ जाने से कभी दुनिया नहीं रूकती !

"सभी जो हौंसला रक्खें तो फिर हो रास्ते आसाँ "
कहा जो था ये तुम ने तो भला मैं क्यूँ कहीं रूकती !

सवाले हस्ती पे यूँ चौंकना लाज़िम था अपना भी
निशाँ -ए- नूर- ए- मौला जब जहाँ मिलता वहीँ रूकती?

शुक्रवार, 20 अप्रैल 2012

किसने लिखीं

मैंने माँगी फूल पत्ती आंधियाँ किसने लिखीं ?
दास्तान -ए- हिज्र में वीरानियाँ किसने लिखीं ?

वो कौन से अलफ़ाज़ थे वो कौन सी फहरिस्त थी ?
मेरे मैं के सिलसिले , सरगोशियाँ किसने लिखीं ?

मैं हौंसला रखती मगर बेदर्द ने मारा मुझे
हाथ पे इस वक़्त के बेईमानियाँ किसने लिखीं ?

हैं शोखियाँ मौजूद अब भी राख पर न जाइए ...
सोचती हूँ रूह की रानाइयाँ किसने लिखीं ?

दास्तान -ए- हिज्र= जुदाई की कहानी
फ़हरिस्त= सूची
सरगोशियाँ= कानाफूसी
रानाइयाँ= सुन्दरता

शुक्रवार, 13 अप्रैल 2012

फ़रियाद करनी है

कई वीरानियाँ आबाद करनी है
अभी तो रौशनी आज़ाद करनी है

सियासत की हिमाकत पे न जाना
सभी को तिश्नगी बर्बाद करनी है

कहानी मुफलिसी की तुम सुनाते हो
किसी की यूँ शहादत याद करनी है ?

ज़रा सी बात पे रो के यूँ चिल्ला के
भला क्यूँ ज़िंदगी नाशाद करनी है

फ़ना होना नहीं मक़सूद -ए- जाँ लेकिन
तिरे लौट आने की फ़रियाद करनी है